Saturday, February 4, 2012

कौन हूँ मैं..

कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ....
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा , कभी झूठा सा कभी सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस , एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जिंदगी का एक ऐसा साथी है , जो दूर हो के पास नहीं ....
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ....
हवा का एक सुहाना झोंका है , कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले , कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र , जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ....
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है ...
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है , पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं ....
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ....