Wednesday, July 14, 2010

कुछ नहीं कहता...

जो मोहब्बत करता है, वो उम्र भर कुछ नहीं कहता,
के जब दरिया शोर करता है, समंदर कुछ नहीं कहता...
मेरे दिल से मेरे चेहरे का समझौता बड़ा अजीब है,
एक अन्दर खामोश रहता है , एक बहार कुछ नहीं कहता...
निगाहे उसे करना चाहती है हाल-ए-दिल बयान,
मगर शायद वो चुप रहती है, या मैं उसे कुछ नहीं कहता...
बिन बोले ही समझ लेते है, एक दूजे की बाते हम,
कभी वो कुछ नहीं कहती, कभी मैं कुछ नहीं कहता...
मोहाबत को मैं अपनी लव्जों में कैसे तोलूं,
इसलिए मैं कुछ नहीं, और कभी कुछ नहीं कहता...

zindagi...

निगाहों से जब तुमने कह दिया के मोहब्बत की कोई जुबां नहीं होती,
रह जाती पिघल कर चांदनी में कही, काश उस रात की कभी सुबह ही न होती...
सांसो से रूह तक हर कही तुम हो ,
अब तो धडकनों को भी मेरे दिल में जगह नहीं होती...
कर दिया है मुश्किल हर पल का जीना ,
फिर भी तुम्हे सज़ा दूँ ऐसी कोई ख़ता नहीं होती...
हर ख़ुशी, हर एहसास, हर जज़्बात तुम्ही से है,
क्यूँ न कहूँ तुम्हे ज़िन्दगी...
तुमसे प्यारी जीने की कोई और वजह ही नहीं होती....

Friday, July 2, 2010

:)

तनहा रहना सीख रहे है...
मर मर के जीना सीख रहे है...
सपनो को पाना सीख लिया है,
पाके खोना सीख रहे है...
सबर को अपनी राह बनाकर,
कांच पे चलना सीख रहे है...
फिरते फिरते सहरा सहरा,
प्यास को पीना सीख रहे है...
जीने के भी है हज़ार तरीक़े,
बस जिंदा रहना सीख रहे है...
तुम्ही ने दिया था धडकनों से रिश्ता,
वो रिश्ता निभाना सीख रहे है...
हर रात तुम्हे याद करते करते ,
तुम्ही को भुलाना सीख रहे है....

Thursday, June 3, 2010

Mujhko....

गुनगुनाते हुए कभी युहीं सहला दे मुझको..
उँगलियाँ फेर कर बालों में सुला दे मुझको...
लबों से छुले लबों को मेरे..
लफ्ज़ वो अनकहे समझा दे मुझको...
गुलाबों सी, नर्गिसी सी, संदली सी महकु..
जिस्म मेरा छुके यूँ महका दे मुझको...
बस जाए तू मुझमे, और खुदको मैं तुझमे पाऊँ..
समां के मुझमे पूरा बना दे मुझको...

Monday, May 31, 2010

Mujhko..

गुनगुनाते हुए कभी युहीं सहला दे मुझको
उँगलियाँ फेर कर बालों में सुला दे मुझको..
गुलदान के फूलों में महकता रहेगा
घर के किसी कोने में लगा दे इस दिल को..
याद करके मुझे तकलीफ ही होगी
एक किस्सा हूँ पुराना भुला दे मुझको...
डूबते डूबते आवाज़ तेरी सुन जाऊं
आखरी बार तू साहिल से सदा दे मुझको...

अगर

हर ख्वाब अगर पूरा होता,
तो दुनिया में इश्क ना होता..
बस यही सोचकर आज भी तेरे ख्वाब देखते है हम...
हर दुआ में अगर वो असर होता,
तो कोई टुटा दिल ज़ख़्मी ना होता...
के शायद इसीलिए अक्सर दुआओं में तुझे मांगते है हम...
और हर चाहत ग़र परवान चढ़े,
तो दुनिया में कशिश ही ना होगी,
बस इसीलिए आज भी तुझसे प्यार करते है हम...

रुक जाओ....

रुक जाओ के इस दिल में एक कसक अभी बाकी है..
नशा वो पहली नज़र का,
वो असर अभी बाकी है...
न अब वो हसी महफ़िल है , न मौसम है बहारों का,
पर एहसास उस रात की मुलाकात का ,
वही जस्बात अभी बाकी है...
महसूस तुम ना कर सके ये दर्द-ओ-ग़म, ये तडपना जिसका,
एक अरमां उसी टूटे दिल का,
के एक हसरत अभी बाकी है...
मजबूर ये हालात है और बेबसी मेरी निगाहों में,
वही बेरुखी, वही सिलवट तेरी आवाज़ में ,
और वही चुभन अभी बाकी है...
पैग़ाम दे रही है ये नज़रे तेरी बेवफाई का,
मिल चुका है हर जवाब,
पर फिर भी, एक सवाल अभी बाकी है...
रुक जाओ के इस दिल में एक कसक अभी बाकी है...

रुक जाओ....

रुक जाओ के इस दिल में एक कसक अभी बाकी है..
नशा वो पहली नज़र का,
वो असर अभी बाकी है...
न अब वो हसी महफ़िल है , न मौसम है बहारों का,
पर एहसास उस रात की मुलाकात का ,
वही जस्बात अभी बाकी है...
महसूस तुम ना कर सके ये दर्द-ओ-ग़म, ये तडपना जिसका,
एक अरमां उसी टूटे दिल का,
के एक हसरत अभी बाकी है...
मजबूर ये हालात है और बेबसी मेरी निगाहों में,
वही बेरुखी, वही सिलवट तेरी आवाज़ में ,
और वही चुभन अभी बाकी है...
पैग़ाम दे रही है ये नज़रे तेरी बेवफाई का,
मिल चुका है हर जवाब,
पर फिर भी, एक सवाल अभी बाकी है...
रुक जाओ के इस दिल में एक कसक अभी बाकी है...


Sunday, May 30, 2010

Why....

Why do my night seems so long,
When I am to see you next day..
Why do my moments becomes rosy red,
When you are about to say..
Why do people say I go crazy,
When you are around..
Why do I just feel like flying,
Walking with you on the gorund..
Why do you make my eyes sparkle
twinkling like a fairyland..
Why do you make my heart crying
Just sweetly holding my hand..
Why dont time stand still
When you are with me..
Why do I feel that you are made only for me...

Tum.....

कैसे कहूँ तुमसे,
के तुम मेरे क्या हो..
मोहब्बत की राहों में खोये,
इस दिल की पहली और आखरीं तम्मना हो...
पलकों की दहलीज़ पे संजोये,
मेरे हसीं ख्वाबों का जहाँ हो...
सपनो में जिसे बसाये रखा,
तुम वही चाहत का आशियाँ हो...
लबों की हर मुस्कराहट हो,
हर हसी हो, हर कहकशां हो...
अब हर पल जिसे गुनगुनाती हूँ मैं,
तुम वही प्यारा सा नग़मा हो...
कैसे कहूँ तुमसे,
के तुम मेरे क्या हो...
मेरे लिए तो तुम ही ज़मीन हो,
तुम ही आसमां हो...
और जी रही हूँ जिसके लिए मैं,
वही आरज़ू हो, वही अरमां हो....

क्यूँ ?

ए खुदा इतनी बेबसी क्यूँ है ?
वो मेरा जिस्म, मेरी रूह सभी क्यूँ है ?
सारे आलम को छोड़ हमको न जाने
भाता कमबख्त एक वही क्यूँ है ?
रात दिन जिसे चाहा है ज़िन्दगी की तरह ,
चाहत में फिर भी उसकी ये कमी क्यूँ है ?
सुनते थे ज़माने की हर ख़ुशी है, मोहब्बत तेरे दम से ,
फिर ग़म-ए- इश्क में इन पलकों पे ये नमी क्यूँ है ?

Wednesday, May 19, 2010

शायद...

अब के बहार आई है मेरी गली में,
मैं समझी,,, के आप यहाँ आए थे शायद.....
हज़ारों फूल खिल उठे है इन विरान राहों पर,
मैं समझी,,, आप ही की ये मुस्कराहट है शायद....
जी उठे है हर एहसास इस तनहा सी बस्ती के,
मैं समझी,,, आप ने इन्हें छुआ था शायद...
इस विराने में इतनी रोशनी है के माहताब भी नज़रे चुराए,
मैं समझी,,, आपने इन्हें नज़र उठा के देखा था शायद....
फिर मैंने सोचा,
के क्या ये मुमकिन है के आप इस गली में हो और मैं बेखबर रहूँ ?
आँख खुलते ही ये यकीन हुआ...
के मैंने य इ एक हसीं ख्वाब देखा था शायद...

शायद...

अब के बहार आई है मेरी गली में,
मैं समझी,,, के आप यहाँ आए थे शायद.....
हज़ारों फूल खिल उठे है इन विरान राहों पर,
मैं समझी,,, आप ही की ये मुस्कराहट है शायद....
जी उठे है हर एहसास इस तनहा सी बस्ती के,
मैं समझी,,, आप ने इन्हें छुआ था शायद...
इस विराने में इतनी रोशनी है के माहताब भी नज़रे चुराए,
मैं समझी,,, आपने इन्हें नज़र उठा के देखा था शायद....
फिर मैंने सोचा,
के क्या ये मुमकिन है के आप इस गली में हो और मैं बेखबर रहूँ ?
आँख खुलते ही ये यकीन हुआ...
के मैंने य इ एक हसीं ख्वाब देखा था शायद...

Tuesday, May 11, 2010

YOU

They say GOD
I say Small...
They say Trust
I say All...
They say Miracle
I say Life....
They say Wonder
I say Strive....
They say Innocent
I say Heart....
They say Defeat
I say Start...
They say Wild
I say Emotion...
They say Sorrow
I say Fiction...
They say Beautiful
I say True....
They say Love
I say YOU.....

Monday, February 22, 2010

Love you so dear....

There is no reason to complaint…
But I complaint with no reason…
There is no autumn for flowers bloom…
But I bloom with no season…
There is nothing special to celebrate…
But I do with no occasion …
There is no reason to love you more…
But I love you, love you so dear…
Coz…. I know you are my passion…
my sensation….
my obsession…

Kassh.....

अगर तुम्हारा दिल एक घर होता .... तो उसमे एक कमरा मेरा होता....
जहाँ खिडकियों से धुप तुम्हारे प्यार की आती...
और इश्क की चांदनी पर्दों से लिपट जाती...
तुम्हारी चाहत की आगोश में ज़मीन का हर कोना होता...
और दीवारों पर भी नाम तुम्हारा ही खुदा होता...
जहाँ महका तुम्हारी खुशबू से हर किनारा होता...
हर शाम , हर सहर तुम्हारी, बस तुम्हारा ही नज़ारा होता..
न ज़रुरत पड़ती सांसो की , और न ख्वाबों को संजोना होता...
बस एक तुम्हरे दिल का धडकना ही मेरे दिल का जीना होता...
काश... तुम्हारा दिल एक घर होता... तो उसमे एक कमरा मेरा होता.....

आज ठरवलं ... खूप खूप लहान व्हायचं .....
चिमणीचे पंख घेउन आकाशात उडायचं .....
नंतर जाणवलं ... आता ते जमणार नाही...
तुला सोडून माझं मन आकाशात पण रमणार नाही....

इन्द्रधनुष्यातही गुलाबी रंग दिसायचा ...
फुलांची मुग्धता घेऊन तुझ्या सोबत हसायचा ...
पावसात न भिजताही एखादं चिंब स्वप्न पाहायचं ....
कधी त्या ढगासारखं नुसतच रडायचं.....

आता मात्र हे बघून मी परत कधीही रडणार नाही....
तुला सोडून माझं मन कुठेही रमणार नाही.....

आठवतयं ? आपण तासन-तास बोलायचो ...
गर्दीतही फक्त एक-मेकांशीच बोलायचो....
कधी न बोलता फक्त तुलाच ऐकायचंय.....
आणि नकळत , न सांगितलेल्या ,माझ्या मनातल्या गोष्टी तुला कसं काय उमजायचं ???

आता परत माझ्याशी अस कोणीही बोलणार नाही...
तुला सोडून माझं मन आता कुठेही रमणार नाही...

Poetic Resignation

Poetic Resignation :)
The name is good, the brand is big
But the work I do is that of a pig
The work or the brand; what is my way?
I don't know if I should stay.
To work, they have set their own way
Nobody will care to hear what I say
My will be NULL, they wont change their way
I don't know if I should stay.

The project is in a critical stage
But to do good work, this is the age
This dilemma is killing me day by day
I don't know if I should stay.

The money is good, the place is great
But the development is at a very small rate
Should I go for the work, or wait for pay
I don't know if I should stay!

The managers don't know what they talk
The team doesn't know where they walk
That's a bad situation, what say?
I don't know if I should stay.

I can go to any other place
But what if I get the same disgrace
I can't keep switching day by day
I don't know if I should stay.

The -ve's are more, the +ve's are less
Then why have this unnecessary mess
No more will I walk their way,
It's all done, I won't stay.

Thanks & Regards
Employee


Manager Response

Reply: What I want to say? (Manager)

The decision is good or decision is bad
Only God knows still I am glad
Keep moving in life that is what I can say

If you feel right go in the same way
May god give you the work, the challenge you want
Anyway there is always a second chance
Chances are there, grab them snatch them
That is what I can say

Keep on jumping companies to get more and more and more....
That will keep you always a fore (Even to me)
From my experience I can tell you
Being in software development is like taking hell out of you
You are frustrated since you have no quality work
And you were frustrated because you had quantity work

It's always like that previous job was better than thecurrent one
And expects the new job will be much better than this one
But what you get is a frustration level up to sun
Than you will again send the resignation like this one
This is all what I want to say

Have you completed all the formalities?
Filled the form and got it signed from department humanities(HR)
Once done you can take all your cash
But don't refer others as they will follow you're a*s.
At last I appreciate your contribution to the company
Even though there was not any....

You will keep a copy of this with you for FYI
Don't feel shy
As I also got it some time back from my old manger say Hi....
That is all what I want to say.

Wednesday, January 20, 2010

वक़्त तो हमें भुला ही चुका है ..
कही ये किस्मत भी ना हमे भुला दे ...
बस यही सोचकर हम प्यार नहीं करते ...
के कोई हमे फिर से ना रुला दे...
यूँ तो कई ख्वाबों को देखा है पलकों पे सजते..
कई कसमो , कई वादों की कहानियां भी पढ़ी है...
देखा नहीं कभी सपनो को हकीकत में ढलते...
ना ही वादों के किस्से ही कभी सच होते है...
मासूम से मेरे ख्वाबों को कोई पल भर में ना जला दे...
बस यही सोचकर हम प्यार नहीं करते....
के कोई हमे फिर से ना रुला दे.....

Tuesday, January 5, 2010

Ek tukda yaadein teri…..Ek puri zindagi meri….

Ban ke rahegi ab dhadkan meri….
Ek tukda yaadein teri…..
Ek puri zindagi meri….

Inn guzare palo se bas yahi liye ja rahi hun…
Nigaho me tere sapne liye jiye ja rahi hun…

Teri shararato se bhare tamaam wo din..
Teri baato se mahke wo pyare pal-chin..
Har shaam wo tujhe chuke dhalti hui..
Har raat tere khayalon se pighalti hui..
Har subah tujhse milne ki aarzoo liye..
Ja rahi hun bus yahi justjoo liye..

Kar degi khushiyon ko pura meri…
Ek tukda yaadein teri…
Ek puri zindagi meri….

Wo raah jab thama tha tumne mera hath..
Wo mod jab chale the do kadam sath..
Wo bunde thi barish ki ya palko ki nami..
Khud me tumhe pake bhi thodi thi kami..
Ek raat jab kandhe pe rakha tha sar..
Chuke teri saanso ko hui thi bekhabar..

Wo raatein,wo barish,wo aansu liye…
Beete un saare lamho ki khushboo liye…

Mahakti rahegi har tamanna meri…
Ek tukda yaadein teri…
Ek puri zindagi meri….