अगर तुम्हारा दिल एक घर होता .... तो उसमे एक कमरा मेरा होता....
जहाँ खिडकियों से धुप तुम्हारे प्यार की आती...
और इश्क की चांदनी पर्दों से लिपट जाती...
तुम्हारी चाहत की आगोश में ज़मीन का हर कोना होता...
और दीवारों पर भी नाम तुम्हारा ही खुदा होता...
जहाँ महका तुम्हारी खुशबू से हर किनारा होता...
हर शाम , हर सहर तुम्हारी, बस तुम्हारा ही नज़ारा होता..
न ज़रुरत पड़ती सांसो की , और न ख्वाबों को संजोना होता...
बस एक तुम्हरे दिल का धडकना ही मेरे दिल का जीना होता...
काश... तुम्हारा दिल एक घर होता... तो उसमे एक कमरा मेरा होता.....
Kaash....I can write like u........very sweet poem.......... :)
ReplyDelete