निगाहों से जब तुमने कह दिया के मोहब्बत की कोई जुबां नहीं होती,
रह जाती पिघल कर चांदनी में कही, काश उस रात की कभी सुबह ही न होती...
सांसो से रूह तक हर कही तुम हो ,
अब तो धडकनों को भी मेरे दिल में जगह नहीं होती...
कर दिया है मुश्किल हर पल का जीना ,
फिर भी तुम्हे सज़ा दूँ ऐसी कोई ख़ता नहीं होती...
हर ख़ुशी, हर एहसास, हर जज़्बात तुम्ही से है,
क्यूँ न कहूँ तुम्हे ज़िन्दगी...
तुमसे प्यारी जीने की कोई और वजह ही नहीं होती....
So pure words.....simple yet so meaningful. Rakhi only u knows to write the feelings...in such a manner. Luved tht one..Cheers
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