Tuesday, March 15, 2011

क्या तुम भी

क्या तुम भी आसमा में तारों पे नज़रे गढ़ाते हो...?
और फिर एक तनहा तारे को देखकर मुस्कुराते हो..
क्या तुम भी अनजानों में अपने तलाशते हो?
और फिर अपनों को भी अनजाना सा पाते हो...
क्या तुम भी एक महाकेसे ख़याल से टकराते हो..?
उसके तस्सवुर को ना पाकर मायूस से हो जाते हो..?
क्या तुम भी कुछ गुनगुनाते हो..?
आईने को देखके इतराते हो..
कभी होगा मेरा हमखयाल भी...
क्या तुम भी यही सपना सजाते हो...?
क्या तुम भी....

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