Saturday, May 28, 2011

बारिश और तुम

बावरे बादल .. छींटे उड़ायें ...
तन महकाए ... मन बहलायें ...
बूंदों से भी मीठी भीनी बस तुम्हारी ही खुशबूं आए ..
ये ठंडी हवाएं जब बदन से छु जाए...
मासूम सा मुझको तुम्हारा ही एहसास दिलाएं ..
तुम्हारे यादों की बारिश मेरे दिल को तडपाएं ..
क्या अब तुम आओगे बादलो पे चढ़के ..
या फिर हम खुद हवाओं पे चलके आएं ????

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