Sunday, May 30, 2010

Tum.....

कैसे कहूँ तुमसे,
के तुम मेरे क्या हो..
मोहब्बत की राहों में खोये,
इस दिल की पहली और आखरीं तम्मना हो...
पलकों की दहलीज़ पे संजोये,
मेरे हसीं ख्वाबों का जहाँ हो...
सपनो में जिसे बसाये रखा,
तुम वही चाहत का आशियाँ हो...
लबों की हर मुस्कराहट हो,
हर हसी हो, हर कहकशां हो...
अब हर पल जिसे गुनगुनाती हूँ मैं,
तुम वही प्यारा सा नग़मा हो...
कैसे कहूँ तुमसे,
के तुम मेरे क्या हो...
मेरे लिए तो तुम ही ज़मीन हो,
तुम ही आसमां हो...
और जी रही हूँ जिसके लिए मैं,
वही आरज़ू हो, वही अरमां हो....

3 comments:

  1. Now I have no words...........How can I comment on gem of the words like this. Damn good Rakhee...........Luved it like nething. So touchy...WOW. Ab aur kya kahun yaar...U r too sweet n it shows in ur words..they r equally sweet n pure.

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  2. its soooo thoughtful..m loving it..gr8 going dear frnd...

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